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Gujarati Koli { કોળી } Community Status Shayari And More Information About Koli Community [ कोली समाज ] Koli Attitude Shayari Collection in Gujarati

સોમવાર, 31 ઑક્ટોબર, 2022

Koli Samaj [ કોળી - कोली - koli ] history in hindi - इतिहास कोली

Koli samaj history - कोली समाज मे जन्म लिया है तो उसके बारे जानकारी लेने की इच्छा बचपन से ही रही है | समाज के बंधुओ से जाना , बहुत सी किताबे , पत्र पत्रिकाए पढ़ी, इंटरनेट से जानकारी जुटाई ! बहुत अच्छा लगा ! कोली समाज ने विश्व को अनेक महान व्यक्ति दिये है | ज्ञात हुआ कि गौतम बुद्ध कोली (कोरी ) समाज से है ! कोली समुदाय सिंधु घाटी सभ्यता के समय से है | कर्म के आधार पर जातियाँ बनी | कोली भारत के मूल निवासी है जो आज अनुसूचित जाति , जनजाति , पिछड़ा वर्गो मे शामिल किये गये है ! पुराना व्यवसाय जुलाहे (कपड़े बुनना ) का रहा है | समय की मांग और मशीनीकरण के कारण आज समाज के लोग विभिन्न व्यवसायो को अपनाये हुए है

Koli Samaj [ કોળી - कोली - koli ]  history in hindi



इतिहास से पता चलता है कि महान सम्राट अशोक महान कोली समाज से थे, जिनका चक्र आज भारत के ध्वज मे चमकता नजर आता है | प्राचीनतम राजा मन्धाता सर्वोपरी व सार्वभौमिक राजा थे जिनका यश, कीर्ति अनेक शिला लेखो पर अंकित है, वे भी इसी कोली समाज के थे ! ऋषी वाल्मीकी जिन्होने रामायण लिखी वे भी कोली थे ! महाराष्ट्र मे आज भी रामायण को कोली रामायण कहा जाता है | रामायण की शिक्षा भारतीय संस्कृति का आधार है | महान संत कबीर जुलाहे थे | उन्होने अपनी रचनाओ मे लिखा – “क़हत कबीर कोरी” स्वयं कहा है ! जानकारी मिलती है सौराष्ट्र के भक्त भदूर दास , भक्त बलराम , जूनागढ के संत वेलनाथ जी, भक्त जोबनवगी, संत कजी स्वामी 17 वी व 18 वी शताब्दी के थे ! ये सभी कोली समुदाय से थे | तानाजी राव मालसुरे जिन्हे शिवाजी “ मेरा शेर” कहते थे उनके प्रधान सेनापति थे | वे कोली समाज के थे | शिवाजी ने तानाजी की स्मर्ति मे “कोड़ना गढ” का नाम “सिन्हाढ” रखा | सन 1857 की स्वतंत्रत्ता की लड़ाई मे महारानी लक्ष्मीबाई की प्रमुख साथी झलकारी बाई ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | कोली समाज को इन पर हमेशा गर्व रहेगा|

कोली वंश के काशी नरेश राजाराम है जो अपना राज्य छोडकर ऋषि बने | योगीराज संत श्री कनुआ बाबा, देवी महामाया, गौतमी, यशोधरा, विरुबल्लुबर तिरुक्कुरल चोल रक्षित, जुरण पाटिल ,गुरु घासीदास जी कबीर पंथी ,आदिवासी बिरसा मुंडा, छत्रपति शाहूजी महाराज , स्वतंत्रा कर्मवीर जायानंद भारती , योगी संत धूधलीमल महान कोली लोगो की लम्बी सूची बनाते है !

Koli samaj history in Hindi 


कहा जाता है की श्री राम का जन्म महाराजा मन्धाता के बाद 25वी पीढ़ी मे हुआ था | मान्धाता और श्री राम ईक्षवाकु के सूर्यवंश से थे | बाद मे यह वंश नौ भागो मे बट गया | ये वंश थे मल्ल, जनक, विद्रोही कोलिय, मौर्य , लिच्छवी, जनत्री ,वाज्जी और शाक्य | मंधाता ईक्षवाकु के सूर्यवंशी से थे उनके उत्तरधिकारीयो को सूर्यवंशी कोली राज के नाम से जाना जाता है | प्राचीन वेद महाकाव्य और अन्य अवशेष मे मंधाता के उत्तरधिकारियो की युद्ध कला और राज्य प्रशासन मे उनके महत्त्व योगदान को बताते है | प्राचीन संस्कृत की पुस्तको मे उन्हे कुल्या कुलिए, कोली सर्प ,कौलीक, कौल आदि कहा गया है |


कोली समाज वह समाज है जिसने अपनी देवी, मुंबा देवी के नाम से मुंबई की स्थापना व निर्माण किया ! आज भारत मे कश्मीर से कन्या कुमारी तक कोली बसे हुए है ! क्षेत्रीय भाषाओं के कारण इनके नाम में कुछ परिवर्तन हुआ है ! इसके प्रमुख समूह – क्षत्रिय कोली ,कोली राज, कोली राजपूत, कोली सूर्यवंशी , नागर कोली , कोली महादेव , कोली पटेल , कोली ठाकोर , बवराया, थारकर्डा , पथानवाडिया , मईन कोली , कोयेरी मंधाता पटेल आदि है| भारत के ये मूलवासी कृषि भू भागो और समुद्री तटीय क्षेत्रो मे निवास करते है | जनगणना मे 1040 से भी अधिक उप समूहो को एक मुश्तरूप से कोली कहा जाता है | गुजरात मे मूलरूप से रहने वाले लोगो में कोली और आदिवासी भील ही है |

वर्तमान स्थिति अलग है इसके लिए हम किसी को भी पूरी तरह से दोष नहीं दे सकते | इतिहास मे यह होता आया है कि कभी शक्तिशाली रहे लोग पतन को प्राप्त हुए और पूरी तरह से अद्रश्य हो गये ! यहाँ योग्तयम की जीत का नियम है | कमजोर व्यक्ति भी संघर्ष करके उच्च स्थान पा सकता है ! पूर्वजो या किसी को दोष देने से कुछ भी नहीं होने वाला ! स्वयं का भी अवलोकन करे कि हमने समाज के लिए क्या योगदान दिया ! जिस तरह से आप समाज से अपेक्षा रखते है, समाज भी आपसे बहुत सी उम्मीदे रखता है ! लोगो को महान प्रयास करने होते है | कुर्बानिया देनी होती है | हम भी लगातार संघर्ष करे ताकि इतिहास लिखने के लिए नया कुछ हो |

कोली भारत के मध्य और पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाली जाति। इस जाति के लोग सैद्धांतिक रूप से कई बहिर्विवाही वंशों में बंटे हैं और मुख्यत: हिन्दू हैं, लेकिन अपने पुराने जीववाद को कुछ हद तक जारी रखे हुए हैं।[1] 'कोलाबा' का नाम सम्भवत: इन्हीं कोलियों के नाम पर पड़ा था।

 About koli samaj  History 


  • 20वीं शताब्दी के अंत में इनकी जनसंख्या लगभग 6 लाख, 50 हज़ार थी।
  • सबसे बड़ा कोली समूह महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में रहता है।
  • कोलियों को कृषकों और मज़दूरों के रूप में जाना जाता है, लेकिन कई कोलियों का जीवन केवल ईंधन की लकड़ी एकत्रित करने और मज़दूरी करने पर ही निर्भर करता है।
  • गर्मियों में जब खाद्य कम उपलब्ध होता है, तब कोली लोग रसदार फलों और आमों पर आश्रित रहते हैं।
  • तटीय कोलियों का परंपरागत पेशा मछली पकड़ना है, हालांकि अब इनमें से कई विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में कार्यरत हैं।
  • कोली सैद्धांतिक रूप से कई बहिर्विवाही वंशों में बंटे हैं और मुख्यत: हिन्दू हैं।
  • इनकी मान्यता है कि बीमारी किसी नाराज़ आत्मा या देवता द्वारा पैदा की जाती है और यह भी कि दूसरा विवाह पहले पति अथवा पत्नी की आत्मा को जागृत कर सकता है।
  • परंपरागत रूप से एक जनजाति के रूप में वगीकृत कोली फिर से एक निचली हिन्दू जाति के रूप में अनुसूचित किये गए, जिसमें अग्री और अहीर उपजातियाँ शामिल हैं।

प्रसिद्ध सामाजिक लोक नृत्यों में से एक 'कोलयाचा' (कोलियों का नृत्य) भी है। पश्चिमी भारत के कोंकण तट के मछुआरों के मूल नृत्य कोलयाचा में नौकायन की भावभंगिमा दिखाई जाती है। महिलाएँ अपने पुरुष साथियों की ओर रुमाल लहराती हैं और पुरुष थिरकती चाल के साथ आगे बढ़ते हैं। विवाह के अवसर पर युवा कोली नवदंम्पति के स्वागत में घरेलू बर्तन हाथ में पकड़कर गलियों में नृत्य करते हैं और नृत्य के चरम पर पहुँचते ही नवदंम्पति भी नाचने लगते हैं।

4 ટિપ્પણીઓ:

  1. Koli समाज की जानकारी दे सके ऐसी किताबे मुझे चाय तो क्या आप मुझे वो किताबे केसे मिल सकती ही उसके बारे में बताएंगे ?
    कृपया आप मुझे इस नंबर पर संपर्क करे :70 41 905 2020

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